लेखनी प्रतियोगिता -16-Oct-2023
#दिनांक:-16/10/2023
#शीर्षक:- आखिरी दौर
काश,
जितना महसूस करते हो तुम,
कह पाते,
मेरे सामने शब्दों का अस्तित्व रख पाते !
मौन मैं रहती,
और तुम सब बातों को समझ पाते,
एहसास मेरे दिल की सुन पाते ,
काश, मुहब्बत को,
दो चार शब्दों में बयॉ कर पाते ।
परखने की अदा तेरी,
बार-बार की जद(चोट) तेरी ।
आहट तक नहीं ,
कैसे अंदर तक टूट गये.....,
अरमानों के बादल घिर-घिर रूठ गये !
चलो अब एक काम करते हैं ,
जितना समय दिया,
तुमसे मांग लेते हैं ------
क्या वापस कर पाओगे ?
बेवजह जो तेरे हो गये हैं ?
वजूद मेरा दे पाओगे ????
खत्म कभी कुछ नहीं होता,
मीठा दर्द से शुरू इश्क,
तीखा, अतलस्पर्शी गम देता,
पर बस,
सब भुलाने की जिद पर अड़े रहते हैं !
आखिरी दौर तक,
यादों का सिलसिला चलता है,
बस जाहिर करना छोड़ देते हैं ,
क्रोध पर आवरण, मौन चिकित्सक का ओढ़ लेते है |
रचना मौलिक,अप्रकाशित,स्वरचित और सर्वाधिकार सुरक्षित है।
प्रतिभा पाण्डेय "प्रति"
चेन्नई
Mohammed urooj khan
18-Oct-2023 03:03 PM
👌👌👌👌
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Punam verma
17-Oct-2023 07:44 AM
Nice👍
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Gunjan Kamal
17-Oct-2023 07:30 AM
👏👌
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